व्यावसायिक प्रतिष्ठान हेतु वास्तु निर्देश – 1
व्यावसायिक प्रतिष्ठान हेतु वास्तु निर्देश :- आगे पढ़ें अगले पेज पर …
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पिरामिड एवं पिरामिड आकार की वस्तुएं व् भवनों का वास्तु शास्त्र में महत्व : पौराणिक कथाओं , इजिप्त के पिरामिडों, तथा वैज्ञानिकों , वास्तुविदों ,व् लेखकों के अलग – अलग मतों व् तर्कों के निचोड़ के अनुसार हम इस तथ्य पर … Read More
बहुमंजिला भवन या एपार्टमेंट (फ्लेट) निर्माण में वास्तुशास्त्र के महत्वपूर्ण नियम : १. बहुमंजिला भवन या एपार्टमेंट बनाने के लिए भूखंड चोकोर या आयताकार होना चाहिए | २. एपार्टमेंट के चारों तरफ खुली जगह होनी चाहिए | ३. … Read More
भवन के सम्बन्ध में वास्तु शास्त्र के महत्वपूर्ण नियम : १. मकान में उत्तर – पूर्व का कोना हमेशा खुला एवं साफ सुथरा होना चाहिए | २. भवन या मकान की ऊंचाई हमेशा दक्षिण – पश्चिम कोने की अधिक … Read More
मकान में शहतीर व् स्तम्भ : मकान में शहतीर और स्तम्भ तथा वृक्षों की संख्या भी सम यानि २,४,६,८ आदि की तरह होनी चाहिये | तथा स्तम्भ एवं शहतीर चोकोर या आयताकार ही होना शुभ रहता है ये गोल या बहु भुजाकार … Read More
मकान में एक द्वार : जब केवल एक ही मुख्य द्वार हो तो उत्तर दिशा अथवा पूर्व दिशा में सर्वोत्तम रहता है | द्वार मकान के मध्य में नहीं होना चाहिये , बल्कि वास्तु के अनुसार दिए गए स्थान पर होना चाहिये … Read More
भवन में द्वार (दरवाजे ), का शुभ स्थान : घर का मुख्य प्रवेश द्वार ग्रह स्वामी की राशि के अनुसार न होकर या बनाकर दिशा की अनुकूल परिस्तिथि देखकर ही मुख्य द्वार लगाना चाहिए ,क्योंकि विशेष व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी … Read More
भवन में नवग्रहों का स्थान एवं प्रभाव : वास्तुशास्त्र के अनुसार गृहनिर्माण किया जाता है तब उसके साथ – साथ घर में नवग्रह भी विराजमान होते हैं | तथा वहां पर रहने वाले लोगों पर अपना प्रभाव डालते हैं | सूर्यदेव का … Read More
घर या मकान के आसपास पेड़ पौधों का स्थान : घर या बंगले के आसपास ऐसे वृक्ष नहीं उगाने चाहिये जिसमें से दूध जैसे पदार्थ निकलते हैं तथा कांटे वाले वृक्ष भी नहीं बोने चाहिये | जैसे बबूल, बेर, आदि | मकान … Read More
सीढियां या झीना : झीने या सोपान की सीढियां हमेशा पूर्व से पश्चिम की ओर तथा उत्तर से दक्षिण की ओर जाने वाली होनी चाहिए | सोपान या झीने का स्थान कभी भी उत्तर-पूर्वी कोने में नहीं होना चाहिए , ये … Read More