मांगलिक दोष अथवा कुज दोष व् उसके उपाय

मंगल  दोष या कुज दोष :  जब किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल या कुज जन्म लग्न से अथवा चन्द्र लग्न से प्रथम, द्वितीय,चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, अथवा द्वादस स्थान में स्थित हो तो उस व्यक्ति की कुंडली में मांगलिक … Read More

ग्रह दशा एवं उनके प्रकार

                                                                गृह दशा   दशा : गृह अपनी शक्ति एवं सामर्थ्य के अनुसार शुभाशुभ परिणाम अपनी दशा एवं अन्तर्दशा में … Read More

नक्षत्र एवं उसमें जन्मे बालक का नक्षत्र फल

नक्षत्र जन्म फल :-  अश्वनी नक्षत्र :धनी, हंसमुख, सुंदर, बुद्दिमान, अच्छी पोशाक, आभूषण पहनने का शौक़ीन, गठीला शरीर, जनप्रिय | हर काम में होशियार | परोपकारी, यशस्वी, वाहन एवं नौकर युक्त| भाग्योदय २० वर्ष बाद , यशस्वी, एश्वर्य संपन्न, नम्र स्पष्ट … Read More

नक्षत्र एवं उनके प्रकार -1

नक्षत्र : दृष्टी के आधार पर नक्षत्रों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है : १. अधोमुखी नक्षत्र  २. उर्ध्वमुखी नक्षत्र  ३. त्रियांगमुखी नक्षत्र अन्य विशिष्ट श्रेणियों के अन्य नक्षत्र तीन भागों में बांटे गए हैं | १. पंचक संज्ञक … Read More

नक्षत्र एवं उनके प्रकार

 नक्षत्र : आकाश में कई लघु तारा समूह आकृति में अश्व, स्वान, सर्प, मृग, हाथी, जैसे दिखाई देते हैं उन्हें नक्षत्र कहते हैं | ये नक्षत्र पृथ्वी मार्ग में चन्द्र द्वारा तय की गयी दूरी प्रकट करते हैं | एक नक्षत्र … Read More

केन्द्रेश – त्रिकोनेश योग फल

केन्द्रेश – त्रिकोनेश योगफल : १. लग्नेश – चतुर्थेश सम्बन्ध से सुखी जीवन के बारे में जानकारी मिलती है | २. लग्नेश – पंचमेश सम्बन्ध से विद्वान् एवं बुद्दिमान होने की जानकारी मिलती है | ३. पंचमेश – दशमेश सम्बन्ध … Read More

ग्रहों की स्थिति एवं उनका प्रभाव

गृह एवं उनके स्थान अथवा भाव तथा उनके प्रभाव  :-  सूर्य – प्रथम भाव, नवम भाव, दशम भाव, अथवा स्थान – सूर्य प्रथम भाव का स्वामी होता है एवं प्रथम भाव से शरीर ,रंग ,रूप,स्वभाव, ज्ञान,सुखदुःख,ताकत,बल,स्वास्थ्य,दादी, नाना, पिता, राज्य, हुकूमत, पद … Read More

ग्रह एवं उनका बल तथा उनके प्रभाव

ग्रहों का बल :-  ग्रहों का बल ६(छ:) प्रकार का होता है १. स्थान बल  २. दिग्बल अथवा दिशा बल ३. काल बल अथवा समय बल ४. नैसर्गिक बल ५. चेष्टा बल  ६. द्रग्बल अथवा द्रष्टि बल | स्थान बल :व्यक्ति … Read More