शुभ शकुन देखना

शुभ शकुन देखना :- यात्रा पर जाने का मुहूर्त रविवार को जावे तो घी  एवं पान खाकर जाये , सोमवार को चावल खाकर व्  दूध पीकर जाये, मंगलवार को गुड व् आंवला  खाकर जाये , बुधवार को तिल  व् मीठा … Read More

शुभ मुहूर्त देखना

शुभ मुहूर्त :-  भूमि/ प्लाट क्रय  विक्रय मुहूर्त :-  भूमि एवं प्लाट खरीदने या बेचने हेतु वैशाख , ज्येष्ठ, अषाढ़ , मार्गशीर्ष, माघ, व् फाल्गुन मास की द्वितीय, पंचमी, षष्ठी, दशमी, एकादशी  व् पूर्णिमा तिथि में बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार, सोमवार, … Read More

ग्रह रत्न एवं उसके फायदे

ग्रह रत्न एवं उसके लाभ  :-  1. हीरा  (Diamond) :  हीरा शुक्र ग्रह का रत्न है जब शुक्र ग्रह कमजोर होता है या फिर आपकी कुंडली में लग्न स्वामी शुक्र होतो तो हीरा पहनना चाहिए | हीरे का उपरत्न दूधिया या तुरसावा … Read More

पंचांग कलेंडर एवं उसके घटक -3

पंचांग  एवं कैलेण्डर  तथा उसके घटक :-  सप्ताह :  सप्ताह में सात दिन होते हैं  सप्ताह में सात वार इस प्रकार से हैं : रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार, शनिवार | इन सभी वारों के अलग – अलग स्वामी … Read More

पंचांग कलेंडर एवं उसके घटक -2

पंचांग  एवं कैलेण्डर  तथा उसके घटक :-  सामान्यत: तिथियों को ५ पांच श्रेणियों  में बांटा  गया है | १.  नंदा तिथि : दोनों पक्षों की प्रतिपदा , षष्ठी व्  एकादशी (१,६,११,) नंदा तिथि कहलाती है | तिथि  गंडांत काल /समय प्रथम … Read More

पंचांग कलेंडर एवं उसके घटक – 1

पंचांग  एवं कैलेण्डर  तथा उसके घटक :-  समय :  हमारे जीवन में समय का विशेष महत्व है | हम सभी समय के अनुसार ही कार्य करते हैं , प्रत्येक देश में मानक समय का प्रचलन है | यह एक विशेष … Read More

गंडांत समय अथवा खराब समय

कोई भी शुभ कार्य गंडांत समय में नहीं करना चाहिए !   तिथि गंडांत : नंदा तिथि के आदि (शुरुआत) की, एवं पूर्णा तिथि के अंत की एक घडी अर्थार्त २४ मिनट का समय अशुभ होता है इसलिए इस समय में … Read More

कालसर्प दोष व् उसके उपाय

कालसर्प योग  एवं उपाय :-  जन्म कुंडली में सभी ग्रह जब राहु  एवं केतु के मध्य या बीच में पड़े या स्थापित हों तब कालसर्प योग बनता है | इस योग में जन्मे व्यक्ति नौकरी, व्यवसाय, परिवार, संतान, आदि के … Read More

शनि की साढ़ेसाती व् उसके उपाय

शनि की साढ़ेसाती एवं उपाय :  शनि एक राशि में ढाई वर्ष रहता है सभी १२ राशियों को पार करने में ३० वर्ष का समय लगता है | इसके ढाई -ढाई वर्ष के तीन ढईया होते हैं | इस प्रकार से … Read More