💐 धर्म 💐

*1.धर्म किसे कहते हैं ?

धर्मम् तु साक्षात् भगवद् प्राणितम ।
भगवान् की आज्ञानुसार आचरण को धर्म कहते हैं । जिन कर्मों के करने से उन्नति हो और सच्चा सुख मिले उन कर्मों के आचरण को धर्म कहते हैं । धर्म सभी मनुष्यों के लिए लाभकारी एवं उपयोगी होता है और जो वेदों में वर्णित है और जो गीता, भागवत, रामायण और वेदानुकूल आचरण है वही धर्म है।

*2. धर्म का पालन करना क्यों आवश्यक है?

धर्म का पालन करने से ही मनुष्य उन्नति कर सकता है और सच्चा सुख पा सकता है, अगले जन्मों में क्रमशः उन्नति करते हुए मुक्ति को प्राप्त करता है। इसलिए धर्म का पालन करना आवश्यक है।

*3. धर्म का पालन नहीं करने से क्या हानि है ?

धर्म का पालन नहीं करने से मनुष्य दिन पर दिन पतित होता जाता है, उसका जीवन दुःखी हो जाता है और अगले जन्मों में पशु–पक्षी या कीड़े–मकोड़ों का जन्म पाता है । धर्म का पालन नहीं करने से यही हानि है।

*4. धर्म के क्या लक्षण हैं ?

धर्म के दस लक्षण मनु महाराज ने बताए हैं–धृति, क्षमा, दम, अस्तेय, शौच, इन्द्रिय निग्रह ,धी, विद्या, सत्य और अक्रोध ।

*5. धृति किसे कहते हैं ?

कष्ट आने पर नहीं घबड़ाना, धैर्य रखना , शांत मन से अपने कार्य करते जाना धृति कहलाता है।

*6. क्षमा किसे कहते हैं ?

किसी से अनजाने में अपराध हो जाय तो बुरा न मानना, क्रोध न करना, उससे बदले की भावना न रखना क्षमा कहलाता है।

*7. अस्तेय किसे कहते हैं ?

दूसरे की चीज बिना उसकी जानकारी के नहीं लेना अस्तेय कहलाता है। चोरी न करना अस्तेय कहलाता है।

*8. शौच किसे कहते हैं ?

बाहर–भीतर शरीर, मन और वाणी को साफ रखना शौच कहलाता है।

*9. इन्द्रिय निग्रह किसे कहते हैं ?

अपनी इन्द्रियों को वश में रखने को इन्द्रिय-निग्रह कहते हैं ।

*10. धी किसे कहते हैं ?

धी का अर्थ होता है-बुद्धि ।अपनी बुद्धि का विकास करना चाहिए। बुद्धि से अच्छी बातें ही सोचनी चाहिए।

*11. विद्या किसे कहते हैं ?

विद्या कहते है ज्ञान को। मनुष्य को सत्य ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। असत्य ज्ञान को छोड़ देना चाहिए।

*12. सत्य किसे कहते हैं ?

सच्चिदानन्द श्रीकृष्ण ही पूर्ण-पुरुषोत्तम भगवान् हैं।
सत्य-हरि का नाम सत्य है आत्मा के रूप में
शरीर को जीवित रखता है तथा
सुखदाता हैं।

उमा कहहुँ मैं अनुभव अपना।
सत हरि भजन जगत सब सपना ।।

*14. अक्रोध का क्या अर्थ होता है ?

क्रोध नहीं करने को अक्रोध कहते हैं । किसी भी कारण से मन में क्षोभ नहीं उत्पन्न होने देना चाहिए।

*15. धर्म का बोध किस प्रकार होगा?

धर्म का बोध प्रमाणिक धर्म ग्रन्थों एवं संतों की शरणागति से होगा।

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