मकान में शहतीर व् स्तम्भ :  मकान में शहतीर और स्तम्भ तथा वृक्षों की संख्या भी सम यानि २,४,६,८ आदि की तरह होनी चाहिये | तथा स्तम्भ एवं शहतीर चोकोर या आयताकार ही होना शुभ रहता है ये गोल या बहु भुजाकार जैसे नहीं होने चाहिये  ऐसा होना शुभ नहीं होता है | कोशिश यह करनी चाहिए की मकान में शहतीर या स्तम्भ कमरे के बीच में नहीं आना चाहिए ये अशुभ रहता है | कमरे में स्तम्भ अवरोध उत्पन्न करता है इसलिए स्तम्भ को कमरे में न होकर दीवार के अन्दर आना चाहिए इस प्रकार से मकान का नक्शा तैयार करना चाहिए | मकान में स्तम्भ(पिलर) या बीम  आदि को मकान की ऊंचाई व् आकार के हिसाब से सही आकर का बनाना चाहिए जिससे भवन में किसी भी प्रकार की कमजोरी नहीं रहती है |
द्वार वेध :  द्वार की शुभ स्तिथि के लिये द्वार वेध का ध्यान रखना भी जरूरी होता है | भवन की ऊँचाई की दुगनी दूरी के अन्दर किसी भी प्रकार का द्वार वेध नहीं होना चाहिये | द्वार वेध जैसे की किसी भी प्रकार का वृक्ष , कुआँ , दीवार, जलधारा,नहर, मंदिर, लट्ठा या पोल  द्वार के सामने नहीं होना चाहिये | द्वार या दरवाजे के सामने किसी भी प्रकार का अवरोध अच्छा नहीं रहता है | उक्त प्रकार का अवरोध या वेध अगर मकान के सामने की सड़क के दूसरी तरफ होतो इतना प्रभावशाली नहीं होता है | भवन के द्वार के सामने किसी भी प्रकार का कचरा भी नहीं  होना चाहिए | भवन के सामने किसी भी प्रकार का मंदिर भी शुभ नहीं रहता है |भवन की निर्माण के समय द्वार वेधों  का ध्यान अवश्य रखना चाहिए |
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