कालसर्प योग एवं उपाय :-
जन्म कुंडली में सभी ग्रह जब राहु एवं केतु के मध्य या बीच में पड़े या स्थापित हों तब कालसर्प योग बनता है | इस योग में जन्मे व्यक्ति नौकरी, व्यवसाय, परिवार, संतान, आदि के अनेकों परेशानियों से पीड़ित रहते हैं | इसके कारण व्यक्ति मानसिक तनाव में बना रहता है तथा अनेकों विघ्न बाधाओं से घिरा रहता व् व्यक्ति का विकास अवरुद्ध रहता है | इसमें कई तरह की परेशानी जैसे , नौकरी का छूट जान, या नौकरी का नहीं मिलना , व्यवसाय में घाटा होना, परिवार का दुखी रहना, संतान की तरफ परेशान रहना ,आदि होती हैं | कालसर्प योग का प्रभाव जीवन पर्यंत रहता है अगर आप इस दोष की शांति करवा लेते हैं तो इसके कुप्रभाव कम हो जाते हैं एवं सफलता का मार्ग प्रसस्त हो जाता है | कालसर्प योग बारह प्रकार के होते हैं :-
जन्म कुंडली में सभी ग्रह जब राहु एवं केतु के मध्य या बीच में पड़े या स्थापित हों तब कालसर्प योग बनता है | इस योग में जन्मे व्यक्ति नौकरी, व्यवसाय, परिवार, संतान, आदि के अनेकों परेशानियों से पीड़ित रहते हैं | इसके कारण व्यक्ति मानसिक तनाव में बना रहता है तथा अनेकों विघ्न बाधाओं से घिरा रहता व् व्यक्ति का विकास अवरुद्ध रहता है | इसमें कई तरह की परेशानी जैसे , नौकरी का छूट जान, या नौकरी का नहीं मिलना , व्यवसाय में घाटा होना, परिवार का दुखी रहना, संतान की तरफ परेशान रहना ,आदि होती हैं | कालसर्प योग का प्रभाव जीवन पर्यंत रहता है अगर आप इस दोष की शांति करवा लेते हैं तो इसके कुप्रभाव कम हो जाते हैं एवं सफलता का मार्ग प्रसस्त हो जाता है | कालसर्प योग बारह प्रकार के होते हैं :-
१. अनंत कालसर्प योग : जन्म कुंडली में जब राहु प्रथम स्थान में एवं केतु सातवें स्थान में स्थापित हो एवं बाकी सभी ग्रह दोनों के बीच में बाईं तरफ पड़े हों तब अनंत कालसर्प योग बनता है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसकी शादी होने में परेशानी होती है एवं देरी से होती है |
2. कुलिक कालसर्प योग : जन्म कुंडली में जब राहु द्वितीय स्थान में एवं केतु आठवें स्थान में स्थापित हो एवं बाकी सभी ग्रह दोनों के बीच में बाईं तरफ पड़े हों तब कुलिक कालसर्प योग बनता है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है एवं आर्थिक परेशानियाँ रहती है तथा दुर्घटनाओं की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं |
3. वासुकी कालसर्प योग : जन्म कुंडली में जब राहु तृतीया स्थान में एवं केतु नवें स्थान में स्थापित हो एवं बाकी सभी ग्रह दोनों के बीच में बाईं तरफ पड़े हों तब वासुकी कालसर्प योग बनता है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है एवं आर्थिक परेशानियाँ रहती है तथा दुर्घटनाओं की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं |
4. शंखपाल कालसर्प योग : जन्म कुंडली में जब राहु चतुर्थ स्थान में एवं केतु दसवें स्थान में स्थापित हो एवं बाकी सभी ग्रह दोनों के बीच में बाईं तरफ पड़े हों तब शंखपाल कालसर्प योग बनता है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है एवं मानसिक तनाव की परेशानियाँ रहती है तथा राजनैतिक कैरियर के लिए अच्छा रहता हैं |
5. पदम् कालसर्प योग : जन्म कुंडली में जब राहु पांचवें स्थान में एवं केतु ग्यारहवें स्थान में स्थापित हो एवं बाकी सभी ग्रह दोनों के बीच में बाईं तरफ पड़े हों तब पदम् कालसर्प योग बनता है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है एवं व्यक्ति की बिमारी जल्दी ठीक नहीं होती है |
6. महा पदम् कालसर्प योग : जन्म कुंडली में जब राहु छटवें स्थान में एवं केतु बारहवें स्थान में स्थापित हो एवं बाकी सभी ग्रह दोनों के बीच में बाईं तरफ पड़े हों तब महापदम् कालसर्प योग बनता है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है एवं व्यक्ति के जीवन में बीमारी एवं दुश्मन ज्यादा होते हैं |
7. तक्षक कालसर्प योग : जन्म कुंडली में जब राहु सातवें स्थान में एवं केतु प्रथम स्थान में स्थापित हो एवं बाकी सभी ग्रह दोनों के बीच में बाईं तरफ पड़े हों तब तक्षक कालसर्प योग बनता है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है एवं व्यक्ति अपने जीवन में सारा धन शराब, जुआ, एवं औरतखोरी में बर्बाद कर देता है |
8. कार्कोटक कालसर्प योग : जन्म कुंडली में जब राहु आठवें स्थान में एवं केतु द्वितीया स्थान में स्थापित हो एवं बाकी सभी ग्रह दोनों के बीच में बाईं तरफ पड़े हों तब कार्कोटक कालसर्प योग बनता है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है एवं व्यक्ति अपने जीवन में ज्यादा गुस्से वाला एवं असामाजिक तत्वों से दोस्ती रखने वाला होता है |
तृतीया स्थान में स्थापित हो एवं बाकी सभी ग्रह दोनों के बीच में बाईं तरफ पड़े हों तब शंखचूड कालसर्प योग बनता है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है एवं व्यक्ति अपने जीवन में ज्यादा गुस्से वाला एवं झूठ बोलने वाला होता है जिससे उसकी समाज में प्रतिष्ठा खराब होती है |
10. घातक कालसर्प योग : जन्म कुंडली में जब राहु दसवें स्थान में एवं केतु चतुर्थ स्थान में स्थापित हो एवं बाकी सभी ग्रह दोनों के बीच में बाईं तरफ पड़े हों तब घातक कालसर्प योग बनता है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है एवं व्यक्ति अपने जीवन में ज्यादा गुस्से वाला एवं जीवन में सजा भोगता है जिससे उसकी समाज में प्रतिष्ठा खराब होती है |
11. विषधर कालसर्प योग : जन्म कुंडली में जब राहु ग्यारहवें स्थान में एवं केतु पांचवें स्थान में स्थापित हो एवं बाकी सभी ग्रह दोनों के बीच में बाईं तरफ पड़े हों तब विषधर कालसर्प योग बनता है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है एवं व्यक्ति अपने जीवन में ज्यादा गुस्से वाला एवं जीवन में सजा भोगता है जिससे उसकी समाज में प्रतिष्ठा खराब होती है |
छटवें स्थान में स्थापित हो एवं बाकी सभी ग्रह दोनों के बीच में बाईं तरफ पड़े हों तब शेषनाग कालसर्प योग बनता है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है एवं व्यक्ति अपने जीवन में दुश्मनों की साजिश का शिकार होकर सरकार द्वारा सजा प्राप्त करता है एवं समाज में अपनी प्रतिष्ठा खराब करता है |
कालसर्प दोष के उपाय :-
१. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें |
२. सूर्य ग्रहण एवं चन्द्र ग्रहण दरम्यान रुद्राभिषेक करें एवं महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्रियम्बकम यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम !
उर्वारुकमिव वंदना मृत्युर्मुक्षीय माम्रतात !! का जाप करें |
३. कालसर्प हवन करें या किसी पंडित के द्वारा करवाएं |
४. हनुमान चालीसा का जाप करें |
५. बहती नदी में हरा नारियल डालने से लाभ होता है |
६. राहु एवं केतु के मंदिर में जाकर उनके मंत्र का जाप करें |
७. गाय व् कुत्तों , कौए आदि पक्षियों को भोजन , दाना देना , मछलियों को आटे की गोलियां डालने से भी
लाभ होता है |
८. कालसर्प योग की हवन शांति के लिए उज्जैन, त्र्यम्बकेश्वर, ज्योतिर्लिंग के मंदिर ज्यादा उपयुक्त स्थान हैं एवं वहां पर किसी विद्धवान पंडित के द्वारा अच्छी तरह से हवन आदि करवाएं तथा महामृत्युंजय मंत्र का जाप १२१००० ( अलग – अलग कालसर्प दोष के लिए अलग – अलग मन्त्रों का जाप होता है ) बार करवाएं तथा शिवलिंग पर चांदी के नाग नागिन के जोड़े अर्पण करें तथा पूरी तरह से भगवान् शिव के चरणों में ध्यान लगाएं | तथा पंडितों को दान दक्षिणा आदि दें | इससे कालसर्प दोष का शमन होता है एवं व्यक्ति कालसर्प दोष के बुरे प्रभावों से मुक्ति पाता है |