केन्द्रेश – त्रिकोनेश योगफल :
१. लग्नेश – चतुर्थेश सम्बन्ध से सुखी जीवन के बारे में जानकारी मिलती है |
२. लग्नेश – पंचमेश सम्बन्ध से विद्वान् एवं बुद्दिमान होने की जानकारी मिलती है |
३. पंचमेश – दशमेश सम्बन्ध से राजकार्यों में कुशलता के बारे में जानकारी मिलती है |
४. चतुर्थेश – पंचमेश सम्बन्ध से बुद्धि के आधार पर आदमी अपना जीवन सुखी कर सकता है |
५. पंचमेश – सप्तमेश सम्बन्ध से बुद्दिमान एवं समझदार पत्नी मिलती है |
६. चतुर्थेश – नवमेश सम्बन्ध से आदमी के भाग्योदय से उसका जीवन सुखी होता है |
७. सप्तमेश – नवमेश सम्बन्ध से भाग्यशाली पत्नी की प्राप्ति से सद्गृहस्थ बनकर जीवन सुखी बनाता है |
८. लग्नेश – नवमेश सम्बन्ध से आदमी भाग्यमान बनता है |
९. दशमेश – लग्नेश सम्बन्ध से शरीर सुख एवं राज्य सुख की प्राप्ति होती है |
१०. नवमेश – दशमेश सम्बन्ध से भाग्य सुख एवं राज्य सुख प्राप्त होता है |
११. लग्नेश – सप्तमेश सम्बन्ध से अच्छी पत्नी मिलती है |
विभिन्न ग्रहों की मूल त्रिकोण राशियाँ निम्न रूप से हैं |
ग्रह मूल त्रिकोण राशि
सूर्य सिंह
चन्द्रमा कर्क
मंगल मेष
बुध कन्या
गुरु धनु
शुक्र तुला
शनि कुम्भ
ग्रहों की स्थिति की गणना हम ज्योतिर्विज्ञान के नियमों की सहायता से करते हैं |
भावों अथवा स्थानों का स्वभाव
लग्न क्रियात्मक अशुभ ग्रह
मेष बुध
वृषभ मंगल, गुरु, शुक्र,
मिथुन कोई नहीं
कर्क गुरु, शनि,
सिंह चंद्रमा
कन्या सूर्य, शनि, मंगल
तुला बुध
वृश्चिक मंगल, शुक्र
धनु चन्द्रमा
मकर सूर्य , गुरु
कुम्भ चन्द्रमा , बुध
मीन सूर्य, शुक्र, शनि
राहू एवं केतु सभी लग्नों के लिए क्रियात्मक अशुभ ग्रह हैं |