पारसी धर्म :-
पारसी धर्म अत्यंत प्राचीन धर्मों में से एक धर्म है | इसकी स्थापना आर्यों के इरानी शाखा के
एक संत जरथुष्ट्र ने की थी | इस्लाम के आविर्भाव के पूर्व प्राचीन ईरान में जरथुष्ट्र धर्म अथार्त पारसी धर्म का ही प्रचलन था | सातवीं शताब्दी में अरबों ने ईरान को पराजित कर वहां पारसी धर्मावलम्बियों को जबरदस्ती से इस्लाम धर्म में परवर्तित कर दिया | कुछ लोगों ने इस्लाम धर्म को स्वीकार नहीं किया एवं ईरान से पलायन कर गए एवं समुद्र के रास्ते भारत पहुँच गए | भारत में मुंबई एवं गोवा , नवसारी में आकर रहने लगे | पारसी लोगों की जनसंख्या विश्व में ज्यादा नहीं है | पारसी लोग एक ईश्वर अहुरमज्द में आस्था रखते हैं मगर दूसरे देवी एवं देवताओं की सत्ता को भी नहीं नकारते हैं | वैसे पारसी अपने प्रमुख देवता अग्नि की दैनिक जीवन में पूजा करते हैं इसीलिए पारसियों को अग्निपूजक के रूप में भी जानते हैं | पारसी धर्म के दो अत्यंत पवित्र चिन्ह हैं सदरो अथार्त पवित्र कुर्ती और पवित्र धागा | धर्म दीक्षा
संस्कार के समय जरथुष्ट्र धर्मी अथार्त पारसी धर्मी बालक या बालिका दोनों को एक विशेष समारोह में पवित्र चिन्ह दिए जाते हैं जिनको वे जीवन भर साथ में रखते हैं | मान्यतानुसार चिन्हों को धारण करने से बालक या बालिका बुरे दुष्प्रभावों व् बुरी आत्माओं से बचा रहता है | पारसी धर्म का पवित्र ग्रन्थ जेंद अवेस्ता है |
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