राशियाँ
राशि चक्र :सुर्यपथ आकाशीय गंगा में वह अंडाकार रास्ता है जिसमें हमें सूर्य गतिमान प्रतीत होता है | सुर्यपथ बारह सामान भागों में विभक्त किया गया है , और प्रत्येक भाग 30 अंश का है | इन बारह भागों के नाम रखे गए हैं और प्रत्येक भाग को राशी कहा जाता है |सूर्य पथ में कुल 360 अंश हैं | राशी चक्र सूर्य पथ के दोनों ओर नौ अंश की विस्तृत आकाशीय पट्टी है जिसमें बारह राशियाँ हैं | पहली राशी मेष ० अंश से 30 अंश तक है और दूसरी राशी 30 अंश से ६० अंश तक है , इसी प्रकार 360 अंश तक बारह राशियाँ क्रमशः स्थापित मानी जाती हैं | पृथ्वी की दो गतियाँ हैं | एक सूर्य के चरों ओर जो 360 अंश दिन में एक चक्र पूरा करती है और दूसरी गति पृथ्वी की अपनी धुरी पर है जो २४ घंटे में अपना चक्र पूरा करती है | पृथ्वी का प्रत्येक भाग क्रमशः सुर्यपथ में स्थित राशी चक्र के सन्मुख आता है | भारतीय ज्योतिष भविष्य कथन के लिए स्थिर राशी चक्र का प्रयोग करते हैं |
राशिचक्रमें विभिन्न मानव जीवधारी (कन्या), पशु जीवधारी (शेर), जलचर जीवधारी (मछली), और जड़ चिन्हों जैसे तराजू(तुला), घड़ा(कुम्भ) आदि आकृति के १२ बारह तारा समूह हैं | इन्हीं को १२ राशियाँ कहा जाता है | प्रथम भाव में जो राशि आती है वह जन्मलग्न तथा जिस राशि में चन्द्र ग्रह स्थापित होता है वह जन्म राशि कहलाती है | व्यक्ति का नाम जन्मराशी के अक्षरों में से एक अक्षर के अनुसार रखा जाता है | एक राशि नौ अक्षरों एवं सवादो २.२५ नक्षत्रों की होती है| एक नक्षत्र में चार चरण व् चार अक्षर होते हैं | नाम के प्रथम अक्षर के आधार पर अपनी नाम राशि जान सकते हैं | बारह राशियाँ निम्न प्रकार से हैं :- १. मेष राशि २. वृष राशि ३. मिथुन राशि ४. कर्क राशि ५. सिंह राशि ६. कन्या राशि ७. तुला राशि ८. वृश्चिक राशि ९. धनु राशि १०. मकर राशि ११. कुम्भ राशि १२. मीन राशि| ये सभी राशियाँ हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करते हैं | यह ज्योतिष शास्त्र का प्रथम स्तम्भ है | राशियाँ संख्या में बारह होती हैं | इनका प्रतिनिधित्व जन्म कुंडली में संख्या के रूप में किया जाता है |
राशियों के नाम उनकी प्रतिनिधित्व संख्या व् उनके स्वामी के नाम निम्न प्रकार से हैं |
संख्या नाम स्वामी
१. मेष मंगल
२. वृषभ शुक्र
३. मिथुन बुध
४. कर्क चन्द्र
५. सिंह सूर्य
६. कन्या बुध
७. तुला शुक्र
८. वृश्चिक मंगल
९. धनु गुरु
१०. मकर शनि
११. कुम्भ शनि
१२. मीन गुरु
राशियाँ अपने स्वामियों की शक्ति, स्वरुप व् स्थिति के अनुसार जन्म कुंडली में गुण व् दोष ग्रहण करती हैं | राशियों का महत्वपूर्ण योग यह है की यह ज्योतिष के विभिन्न स्तंभों को आपस में जोड़ने की कड़ी का काम करती है | इनके द्वारा हमें ज्ञात होता है की कुंडली में किस भाव का कौन सा गृह स्वामी है |