ईसाई धर्म : – ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह (जीसस क्राइस्ट ) थे , जिनका जन्म रोमन
साम्राज्य के गैलिलीप्रान्त के नजस्थ नामक स्थान पर 6 ई.पू.में हुआ था |उनके पिता जोजेफ एक बढाई थे तथा मातामरियम थीं , वे दोनों यहूदी थे | ईसाई शास्त्रों के अनुसार ईसा मसीह के जन्म के समय यहूदी लोग रोमन साम्राज्य के अधीन थें एवं मुक्ति के लिए प्रयासरत तथा व्याकुल थे |उसी समय एक संत जॉन द बैप्टिस्ट ने भविष्यवाणी की थी की की ईश्वर जल्दी ही एक मसीहा भेजने वाला है |
यहूदियों की धर्म सभा ने उन पर स्वयं को ईश्वर का पुत्र और मसीहा
होने का दावा करने का आरोप लगाया गया और अंततः उन्हें सलीब (क्रास) पर लटका कर मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई | जब उनको मृत्यु दंड मिला तो ईसामसीह स्वयं सलीब पर लटक गए एवं षड्यंत्रकारियों को ईश्वर से क्षमा करने की प्रार्थना की और कहा की हे ईश्वर इनको क्षमा करना क्योंकि ये नहीं जानते हैं की ये क्या कर रहे हैं | ईसाई मानते हैं की मृत्यु के तीसरे दिन ही ईसामसीह पुनः जीवित हो गए | ईसामसीह के शिष्यों ने फिलिस्तीन से उनके धर्म ईसाई का प्रचार किया एवं धीरे धीरे ये धर्म सारे रोम एवं यूरोप में फैल गया | वर्तमान में ईसाई धर्म विश्व में सबसे बड़ा एवं ज्यादा अनुयायियों वाला धर्म है इसको मानने वाले विश्व में सबसे ज्यादा लोग हैं |
ईसाई लोग ईश्वर को पिता एवं ईसामसीह को उनका पुत्र मानते हैं | ईश्वर , ईश्वर पुत्र ईसामसीह ,और पवित्र आत्मा इस प्रकार से इन तीनों को त्रयंक यानी ट्रिनिटी मानते हैं | ईसाई धर्म कीपवित्र पुस्तक बाइबल या इंजील है एवं इसके दो भाग हैं 1. ओल्ड टेस्टामेंट 2. न्यू टेस्टामेंट बाइबिल में ईसामसीह के जीवन एवं उपदेशों का विस्तार से वर्णन किया गया है | ईसाई धर्म केप्रमुख दो सम्प्रदाय है | 1. रोमन कैथोलिक चर्च 2. प्रोटेस्टेंट | ईसाई धर्म के मुख्य सिद्धांत हैं कीसत्यमय जीवन बिताओ , सबसे प्रेम करो तथा सब पर दया करो व् दान करो | गुस्सा और लोभन करो । अपराधी को भी क्षमा करो। पाप से नफरत करो न कि पापी से । जो सच है उसे कहने मेंझिझको मत। न अत्यचार करो, न दिखावा करो। ईश्वर पर विश्वास करो और गरीबों की सेवाकरो। यह संदेश परमपिता परमेश्वर के पुत्र ईसा मसीह ने दुनिया को दिए। ईसा का अनुसरणकरने वालों की संख्या लगातार बढ़ी। ईसाई धर्म ईसा मसीह (जीसस) की शिक्षाओं पर आधारित है ।
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