जन्म कुंडली लगभग सात प्रकार की होती हैं :
जन्म कुंडली जन्म की तिथि , समय और जन्म के अनुसार निर्धारित की गई ग्रहों की स्थिति होती है | और यह लग्न के संदर्भ में निर्धारित की जाती है | जन्म कुंडली व्यक्ति के जन्म का एक आकाशीय मानचित्र या नक्शा होती है यहनक्शा जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर उदय्रत राशि को आधार मानकर बनाया जाता इस राशि को लग्न राशि कहते है | जन्म कुंडली के प्रथम स्थान में यह राशि स्थापित की जाती है इसके पश्चात घडी की सुइयों की उलटे क्रम में अन्यशेष ११ राशियों को स्थापित किया जाता है | इसके बाद भाव स्थित राशियों में जन्म समय के समस्त ९ नौ गृह स्थापित कर दिए जाते हैं | जिस राशि में चन्द्र गृह होता है वह राशि व्यक्ति की जन्म राशि कहलाती है |
१. लग्न कुंडली —- शरीर के विषय में जानकारी एवं विचार करने के लिए |
२. होरा कुंडली —- धन संपत्ति के विषय में जानकारी एवं विचार करने के लिए |
३. द्रेश्कान कुंडली —- भ्रात-सुख के विषय में जानकारी एवं विचार करने के लिए |
४. सप्तांश कुंडली — संतान के बारे में जानकारी एवं विचार करने के लिए |
५. नवांश कुंडली — स्त्री सुख के बारे में जानकारी एवं विचार के लिए |
७. त्रिशांश कुंडली —- कामनाओं एवं विशेष परेशानी की बातों के बारे में जानकारी के लिए |जन्म कुंडली में ग्रहों की
स्थिति स्थिर रहती है | किसी भी समय जन्म कुंडली पर ग्रहों के देखे गए प्रभाव को गोचर कहा जाता है |इस प्रकार
उपरोक्त कुंडलियों द्वारा भविष्य के बारे में सभी प्रकार की जानकारी कर सकते हैं