ज्योतिष परिचय
आकाश मंडल में विचरण करने वाले ग्रह , नक्षत्र, तारासमूह(राशियाँ) से निकलने वाली ज्योति रश्मियाँ अपने बल व् कोणात्मक दूरी या अंतर के अनुसार हम पृथ्वी वासियों को विभिन्न प्रकार से प्रभावित करती हैं | हम लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर इन ज्योति रश्मियों के प्रभाव का अध्यन करने वाले विषय को ही ज्योतिष विज्ञान अथवा ज्योतिष शास्त्र कहते हैं | यह विज्ञान गणितीय आकलन व् परिमाप पर आधारित शास्त्र है और हमारे प्राचीन अनेकों ऋषि मुनियों द्वारा की गयी गहन तपश्या, अध्यन, दूर द्रष्टि, अथक साधना व् ज्ञान का फल है |ज्योतिष वेदांग विश्व का प्राचीनतम ज्योतिष ग्रन्थ है | इस ग्रन्थ में आकाश मंडल के ग्रह-नक्षत्रों की गणना , अयन ,गोल,ऋतु, लग्न साधना आदि अनेकों तथ्य दिये हुए हैं | ज्योतिष को वेदों का नेत्र माना गया है , यह हमारा सही पथ प्रदर्शन करता है इनके द्वारा हम जड़ चेतन आदि सभी वस्तुओं को प्रत्यक्ष देख सकते हैं , एवं उनकी आकृति , प्रकृति, आयु , बल, कार्य शैली परिणाम आदि का भली भांति अनुमान लगा सकते हैं | इस प्रकार से ज्योतिष के माध्यम से आकाश स्थित ग्रह नक्षत्रों के मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के भूत , वर्तमान , भविष्य , के फलादेश को देख, समझ, व् जान सकते हैं |ज्योतिष विज्ञान में प्राचीन ऋषि मुनियों ( वशिष्ठ ,जैमिनी, व्यास ,अत्री,पराशर,कश्यप, शौनक, नारद, गर्ग, मारीच, मनु, अंगीरा, लोमश, पुलित्श च्यवन ,यवन, भ्रगु, आदि ) के साथ – साथ चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के काल में महान खगोलविद व् ज्योतिषविद आर्यभट सूर्य ग्रहण व् चन्द्र ग्रहण के सही समय को जानने की सटीक पद्दति विकसित की एवं २७ नक्षत्रों पर आधारित एक समय सारिणी तैयार करके ज्योतिष को और आगे बढ़ाने में बहुत योगदान दिया था | आचार्य वाराहमिहिर ने इस विज्ञान को क्रम बद्ध करके एक ब्रह्ज्जातक ग्रन्थ की रचना की , उसके बाद में ब्रह्मगुप्त, कल्याण वर्मा , चन्द्रसेन , मुंजाल, श्रीपति, श्रीधर, भट्टवोसरि, भोजराज,ब्रहमदेव , भास्कराचार्य , दुर्ग्देव, विजयसेन सूरी, वैधनाथ , केशव, गणेश, नीलकंठ, मुनीश्वर, दिवाकर, नित्यानंद, उभय कुशल, बाघजी मुनि, जसवंत सागर, जगन्नाथ सम्राट , बापुदेव शास्त्री, नीलाम्भर झा , सुधाकर द्विवेदी , डा. राज बलदेव , लक्ष्मीनारायण शर्मा, वी.के.चौधरी ,तिलकचंद तिलक , जे.एन.भसीन, एवं विदेशी लेखक व् विद्धवान जैसे कि डॉ. राबर्टसन ,मैक्समूलर,प्लेस्फार , डॉ. थीबो, कांट , लियोंग, प्रोफ. विल्सन , फ्राक्वीस वर्नियर ,श्रीमान क्लार्क , प्रोफ. कार्लब्रूक , आदि अनेकों प्रसिद्ध रचनाकारों , टीकाकारों, व् समीक्षाकारों ने फलित ज्योतिष व् ज्योतिष के ऊपर बहुत कुछ लिखा है |वेदांग ज्योतिष शास्त्र मानव जीवन को सुखी बनाने की एक अत्यंत महत्वपूर्ण वैज्ञानिक कला है | क्योंकि ज्योतिष शास्त्र जन्म के समय पर ही जीवन कालीन घटनाक्रम का बोध कराने में सक्षम है | इसलिए ज्योतिष शास्त्र का पूर्णतः लाभ मनुष्य तब ही उठा सकता है जब वह इसका उपयोग जन्म समय या विपत्ति आने से पूर्व या उस समय पर करे | दूसरे शब्दों में कहा जाए तो ज्योतिष का लाभ इलाज के बजाय परहेज में अधिक है | ज्योतिष का उपयोग हम शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थय , शिक्षा व्यवसाय, आर्थिक कार्य कलापों , वैवाहिक जीवन, इत्यादि को सुखी बनाने के लिए कर सकते हैं | इस शास्त्र व् उपायों से लाभ उठाना भी व्यक्तिगत भाग्य योग है |
भाग्यहीन व्यक्ति व्यर्थ के वाद विवाद में घिरे रहते हैं जबकि भाग्यवान इसका उपयोग कर लाभ उठाते हैं |आज ज्योतिष शास्त्र का उपयोग प्रचलन विषयों को छोड़ कर विश्वभर में हर क्षेत्र में उठाया जा रहा है | ज्योतिष शास्त्र आपको योग्य जीवनसाथी चुनने में सहायता करता है क्योंकि सुखद वैवाहिक जीवन ही मनुष्य को समाज में उपयोगी योगदान में सफल बनानेकी योग्यता प्रदान करता है | ज्योतिष शास्त्र का योगदान केवल व्यक्तिगत जीवन के लिए न होकर समाज व् राष्ट्र कल्याणके लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है | ज्योतिष के द्वारा हम दिवस , तिथि, वार, सप्ताह, पक्ष, मास , ऋतु , वर्ष, अयन, गोल, नक्षत्र,योग, कारन, चन्द्र,सूर्य, स्थिति, ग्रहण, वर्षा का अनुमान, व्यक्ति का भविष्य ,समुद्रों की गहराई को नापना , सही समय व् मुहूर्त आदि का पता कर सकते हैं | ज्योतिष शास्त्र की मुख्यत: पांच शाखायें हैं |
१. सिद्धान्त (Natural Astrology)
२. संहिता ( Mundane Astrology )
३. होरा ( Hora )
४. प्रश्न शास्त्र ( Horary Astrology )
५. शकुन शास्त्र ( Electional Astrology )