भवन में द्वार (दरवाजे ), का शुभ स्थान : घर का मुख्य प्रवेश द्वार ग्रह स्वामी की राशि के अनुसार न होकर या बनाकर दिशा की अनुकूल परिस्तिथि देखकर ही मुख्य द्वार लगाना चाहिए ,क्योंकि विशेष व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी मकान में तो लोग रहने ही वाले हैं अतः मकान का मुख्य द्वार हमेशा सही दिशा देख कर सही जगह पर द्वार लगाना चाहिए, द्वार की सही स्तिथि निम्न प्रकार से हैं :
उत्तर मुखी भूखंड में द्वार :
उत्तर – पूर्व कोने में द्वार – शुभ रहता है – सुख समृद्धि व् आर्थिक लाभ देता है |
उत्तर – पश्चिम कोने में द्वार – अशुभ रहता है – अस्थिरता व् अशांति लाता है |
पूर्व मुखी भूखंड में द्वार :
पूर्व – उत्तर कोने में द्वार – शुभ रहता है – ज्ञान व् अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करता है |
पूर्व – दक्षिण कोने में द्वार – अशुभ रहता है – स्वास्थ्य व् उम्र पर विपरीत प्रभाव डालता है |
दक्षिण मुखी भूखंड में द्वार :
दक्षिण – पूर्व कोने में द्वार – शुभ रहता है (दूसरा उपद्वार उत्तर या पूर्व में रखें) – लाभदायक व्
समृद्धि दायक रहता है
दक्षिण -पश्चिम कोने में द्वार -अशुभ रहता है -महिलाओं के स्वास्थ्य व् आर्थिक हानि होती है |
पश्चिम मुखी भूखंड में द्वार :
पश्चिम – उत्तर कोने में द्वार – शुभ रहता है – सफलता प्रदान करता है |
पश्चिम – दक्षिण कोने में द्वार – अशुभ रहता है – पुरुषों का पतन व् आर्थिक हानि पंहुचाता है |
द्वारों की संख्या हमेशा सम संख्या में ही होनी चाहिए | घर में खिडकियों व् रोशनदानों की
संख्या भी सम रहनी चाहिए विषम संख्या में नहीं होनी चाहिए | कमरे में दरवाजे व् खिड़कियाँ
एक दूसरे के विपरीत दिशा में या आमने – सामने होनी चाहिए | अगर भूखंड बड़ा होतो उसमें
बने हुए मकान में चरों ओर चार दरवाजे लगाने चाहिए , ये अति शुभ होते हैं |
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