सीढियां या झीना : झीने या सोपान की सीढियां हमेशा पूर्व से पश्चिम की ओर तथा उत्तर से दक्षिण की ओर जाने वाली होनी चाहिए | सोपान या झीने का स्थान कभी भी उत्तर-पूर्वी कोने में नहीं होना चाहिए , ये बहुत ही अशुभ होता है | जहाँ तक संभव हो सके झीने या सोपान वाला भाग हमेशा भवन के दक्षिण या दक्षिण – पश्चिम भाग में होना चाहिए | एवं सीढियां पूर्व से पश्चिम की ओर या उत्तर से दक्षिण की ओर जानी चाहिए | सीढियों की शुरुआत उत्तर से दक्षिण की ओर जाते हुए मध्यवर्ती सीढ़ी तक जाना चाहिए एवं वहां मध्यवर्ती सीढ़ी के बाद दक्षिण से उत्तर
की ओर जाना चाहिए एवं उसके बाद फिर उत्तर से दक्षिण की ओर जाते हुए सीढियों का निर्माण करना चाहिए , इसी प्रकार से पूर्व से पश्चिम की तरफ जाते हुए मध्यवर्ती सीढ़ी तक पहुँच कर वहां से पश्चिम से पूर्व की ओर जाना चाहिए | इस प्रकार से सीढ़ियों का निर्माण उत्तम रहता है एवं सीढियां हमेशा घडी की दिशा में ही बनानी चाहिए | सीढियों का निर्माण हमेशा विषम संख्या में ही करना चाहिए ये शुभ रहता है | सीढियां बाहरी हो या अन्दर की हों , उन्हें सदैव मध्यवर्ती अवतरण स्थान तक उत्तर से दक्षिण की ओर तथा पूर्व से पश्चिम की ओर जाना चाहिए और इसके बाद वे किसी भी दिशा की ओर जा सकती हैं , लेकिन उपरी मंजिल पर उन्हें अनुकूल दिशा में समाप्त होना चाहिए | सीढ़ियों के नीचे अनाज का भण्डार , स्नानागार, शौचालय, मंदिर, पूजा स्थल, व्यापारियों की गद्दी, आदि नहीं होनी चाहिये | सीढ़ियों के नीचे अलमारी, तिजोरी, या धन या आभूषण रखने का स्थान नहीं होना चाहिये | इससे वास्तु दोष होता है |
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