मकान बनाने के लिये प्लाट या निर्माणस्थल का चयन करना :- किसी भी भवन के लिये उसका निर्माण स्थल या प्लाट की मूल आवश्यकता होती है और इसके चुनाव में सबसे अधिक सावधानी रखनी चाहिये | निर्माणस्थल या प्लाट का चयन करते समय निम्नलिखित पक्षों पर ध्यान दिया जाना चाहिये :
१. मिटटी की किस्म का चुनाव :चिकनी या काली मिटटी निर्माण स्थल के लिये ठीक नहीं रहती है | बड़े गोल पत्थरों वाले , दीमकों की बांबी वाले , अथवा जहाँ हत्या हो चुकी हो ऐसा स्थान , तथा जहाँ शव को दफनाया जा चुका हो , जहाँ की मिटटी ढीली हो ऐसा स्थान , या जिसमें मिटटी का भराव किया गया हो, इस प्रकार के स्थानों से बचना चाहिये | ये स्थान मकान बनाने के लिये शुभ नहीं रहते हैं |
२. स्थान व् वातावरण का चुनाव :निर्माणस्थल की सतह समान स्तर की होनी चाहिये, अगर सतह ढालू हो तो वो वह उत्तर और पूर्व की दिशा या उत्तर – पूर्वी दिशा में होनी चाहिये | निर्माण स्थल के पास में बड़े पेड़ जैसे की पीपल, बरगद, इमली , आम आदि नहीं होने चाहिये | निर्माण स्थल या प्लाट की दूरी इन पेड़ों से पर्याप्त होनी चाहिये | प्लाट में पर्याप्त मात्रा में भूजल होना चाहिये | एवं प्लाट की भूमि में उपजाऊ मिटटी एवं घास से आच्छादित होनी चाहिए | निर्माणस्थल या प्लाट, मंदिरों, आश्रमों, स्कूलों, कालेजों, शादी समारोह स्थलों से दूर होना चाहिये | विष्णु मंदिर के पीछे या दुर्गा मंदिर के बांयी ओर भी निर्माण स्थल या आवास अच्छा नहीं रहता है | शिव मंदिर से मकान या निर्माणस्थल की दूरी कम से कम ५० मीटर की होनी चाहिये | पहाड़ी के दक्षिण या पश्चिम में भी निर्माण स्थल या प्लाट का होना अच्छा नहीं होता है |
३. भूखंड के आकार का चयन या चुनाव :भूखंड का आकार वर्गाकार या आयताकार होना शुभ होता है आयताकार होने की स्तिथि में चौड़ाई का लम्बाई से अनुपात १:२ का होना चाहिये | उत्तर , दक्षिण की तुलना में पूर्व व् पश्चिम का विस्तार अधिक होना चाहिये , परन्तु वर्गाकार भूखंड में चारों ओर खाली स्थान छोड़ सकें इतना बड़ा भूखंड होतो इससे अच्छा या बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता है , ऐसा भूखंड अति उत्तम होता है | गौमुखी भूखंड केवल दक्षिण या पश्चिम मुखी ही ठीक होते हैं | बाकी सभी आकारों के भूखंड शुभ नहीं होते हैं |
४. भूखंड की स्तिथि का चयन या चुनाव :जिस भूखंड या प्लाट के चारों ओर सड़क हो वह भूखंड अति उत्तम होता है | ऐसे भूखंड जिनके पूर्व और पश्चिम में सड़क हो , सड़क और भूखंड की सतह पश्चिमी दिशा की तुलना में पूर्वी दिशा में नीची हो तो शुभ रहता है | भूखंड जिनके उत्तर व् दक्षिण दिशा में सड़क हो, एवं भूखंड और सड़क की सतह उत्तर की ओर दक्षिण की तुलना में नीची हो तो शुभ रहता है | ऐसे भूखंड जिनके पूर्व में सड़क हो तथा भूखंड और सड़क का ढाल ऊतर – पूर्व की ओर हो , भूखंड की सतह अधिक ऊंची हो और पश्चिम की ओर अधिक भरा हुआ स्थान या बड़ी-बड़ी इमारतें हों तो शुभ होता है | ऐसे भूखंड जिनके उत्तर में सड़क हो, भूखंड और सड़क का ढाल उत्तर- पूर्व की ओर हो तथा भूखंड की सतह अधिक ऊंची हो और दक्षिण की ओर भरा हुआ स्थान या बड़ी – बड़ी इमारतें हों तो शुभ होता है, सड़क और भूखंड की सतहें दक्षिण और पश्चिम की तुलना में उत्तर और पूर्व की ओर नीची होनी चाहिये, पश्चिम और दक्षिण में ऊंची सतह के भूखंडों का होना ठीक रहता है | उत्तर दिशा में पश्चिम से पूर्व की ओर बहता हुआ कोई नाला या नदी या सोता होतो यह एक आदर्श स्तिथि होती है एवं ऐसा भूखंड अति शुभ रहता है | दक्षिण या पश्चिम दिशा में सड़क का होना व्यापारियों के लिये अति शुभ रहता है एवं ऐसा भूखंड व्यापारिक दृष्टी से अति शुभ रहता है | उत्तर एवं पूर्व मुखी भूखंड रहने के लिये अति शुभ रहते हैं इन भूखंडों में प्रचुर मात्रा में प्रकाश एवं वायु मिलाता है जिससे मकान में रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहता है |भूखंड औधोगिक क्षेत्र से दूर होना चाहिये जिससे उसका प्रदुषण लोगों को प्रभावित नहीं कर सके| भूखंड के अन्दर उत्तर – पूर्व का किनारा सबसे नीचा एवं दक्षिण – पश्चिम का किनारा सबसे ऊंचा होना चाहिये, यह अति शुभ रहता है |