कोई भी शुभ कार्य गंडांत समय में नहीं करना चाहिए !
तिथि गंडांत : नंदा तिथि के आदि (शुरुआत) की, एवं पूर्णा तिथि के अंत की एक घडी अर्थार्त २४ मिनट का समय अशुभ होता है इसलिए इस समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए|
नक्षत्र गंडांत : ज्येष्ठा, श्लेषा, रेवती, के अंत की २ घडी अर्थार्त ४८ मिनट और मूल, मघा, अश्विनी, के आदि, अर्थार्त शुरुआत की २ घडी अर्थार्त ४८ मिनट तक के समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
लग्न गंडांत : मीन, वृश्चिक, कर्क के अंत की आधी घडी अर्थार्त १२ मिनट का समय एवं मेष, धन, सिंह,के आदि अर्थार्त शुरुआत आधी घडी अर्थार्त १२ मिनट, के समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए !तिथि, नक्षत्र, लग्न, के गंडांत में अगर बालक का जन्म हो तो बालक का जीवित रहना कठिन रहता है अगर जीवित रह जाये तो धनी अर्थार्त धनाड्य, होता है ! कुल छ: नक्षत्र गंड हैं – मूल, ज्येष्ठा, श्लेषा, अश्विनी, रेवती, मघा, इनमें से तीन ज्येष्ठा, मूल, श्लेषा, नक्षत्रों, को ज्यादा मानते, हैं अथवा रिवाज है |
ज्येष्ठा नक्षत्र के गण्डमूल में जन्म लेने का फल
प्रत्येक नक्षत्र २४ घंटे का होता है, दिन के २४ घंटे के १० भाग करें तो एक भाग के दो घंटे एवं २४ मिनट होते हैं इस प्रकार से ज्येष्ठा, नक्षत्र, के प्रथम समय के दो घंटे २४ मिनट में अगर बालक का समय हो तो नानी के लिए अशुभ होता है | दूसरे दो घंटे २४ मिनट के समय में अगर बालक का जन्म होतो नाना को अशुभ होता है | तीसरे दो घंटे २४ मिनट के समय में अगर बालक का जन्म होतो मामा को कष्ट होता है | चौथे दो घंटे २४ मिनट में अगर बालक का जन्म होतो माँ को कष्ट होता है | पांचवे दो घंटे २४ मिनट में अगर बालक का जन्म होतो स्वंयं बालक को कष्ट होता है | छटवे दो घंटे २४ मिनट में अगर बालक का जन्म होतो गोत्र के लोगों को कष्ट होता है | सातवें दो घंटे २४ मिनट में अगर बालक का जन्म होतो नाना के परिवार एवं अपने कुटुंब को कष्ट होता है | आठवें दो घंटे २४ मिनट में अगर बालक का जन्म होतो बड़े भाई को कष्ट होता है| नवें दो घंटे २४ मिनट में अगर बालक का जन्म होतो ससुर को कष्ट होता है| दसवें दो घंटे २४ मिनट में अगर बालक का जन्म होतो सभी कुटुंब वालों को कष्ट होता है |
मूल नक्षत्र के गण्डमूल में जन्म लेनेका फल
प्रत्येक नक्षत्र २४ घंटे का होता है, इस प्रकार मूल नक्षत्र में २४ घंटे के आठ भाग करें, प्रथम भाग के ३ घंटे १२ मिनट में अगर बालक का जन्म होतो मूलनाश अर्थार्त सर्वनाश अर्थार्त बहुत ही अशुभ होता है | दूसरे भाग के २ घंटे २४ मिनट में अगर बालक का जन्म होतो धनहानि होती है | तीसरे भाग के ४ घंटे २४ मिनट में अगर जन्म होतो भाई का नाश होता है | चौथे भाग के 3 घंटे ३६ मिनट में अगर बालक का जन्म होतो माँ को पीड़ा अथवा कष्ट करता है | पांचवें भाग के ५ घंटे ३६ मिनट में अगर बालक का जन्म होतो सम्पूर्ण परिवार का नाश हो सकता है | छठवें भाग के २ घंटों में अगर बालक का जन्म होतो बालक राजा का मंत्री हो सकता है अर्थार्त बड़ा होकर बड़े पद को प्राप्त कर सकता है | सातवें भाग के १ घंटे ३६ मिनट में अगर बालक का जन्म होतो राजा हो सकता है अर्थार्त देश में बहुत उच्च पद को प्राप्त कर सकता है | आठवें भाग के १ घंटे १२ मिनट में अगर बालक का जन्म होतो बालक की आयु कम होगी |
श्लेषा नक्षत्र के गण्डमूल नक्षत्र में जन्म लेने का फल
प्रत्येक नक्षत्र २४ घंटे का होता है, दिन के २४ घंटे के १० भाग करें इस प्रकार बालक का जन्म अगर नक्षत्र के प्रथम भाग के २ घंटों में हुआ होतो बालक को राज्य की प्राप्ति हो सकती है | बालक का जन्म अगर नक्षत्र के दूसरे भाग के २ घंटे ४८ मिनट में हुआ होतो पिता को कष्ट हो सकता है | बालक का जन्म अगर नक्षत्र के तीसरे भाग के ४८ मिनट में हुआ होतो माँ को कष्ट होता है | बालक का जन्म अगर नक्षत्र के चौथे भाग के १ घंटे १२ मिनट में हुआ होतो बालक बड़ा होकर पर स्त्री गामी अर्थार्त दूसरी स्त्री के चक्कर में पद सकता है | बालक का जन्म अगर नक्षत्र के पांचवें भाग के १ घंटे ३६ मिनट में हुआ होतो बालक पिता का भक्त होता है | बालक का जन्म अगर नक्षत्र के छटवें भाग के ३ घंटे १२ मिनट में हुआ होतो बलवान होता है | बालक का जन्म अगर नक्षत्र के सातवें भाग के ४ घंटे २४ मिनट में हुआ होतो बालक आत्मघाती होता है | बालक का जन्म अगर नक्षत्र के आठवें भाग के २ घंटे २४ मिनट में हुआ होतो बालक त्यागी होता है | बालक का जन्म अगर नक्षत्र के नवें भाग के ३ घंटे ३६ मिनट में हुआ होतो भोगी होता है | बालक का जन्म अगर नक्षत्र के दसवें भाग के २ घंटों में हुआ होतो बालक धनवान होता है |
इस प्रकार से उपरोक्त नक्षत्रों में जन्मे हुए बालक का भविष्य हो सकता है |
मूल, ज्येष्ठा, श्लेषा, अश्विनी, रेवती, मघा, इन छ: नक्षत्रों में जन्मे बालकों के दोषों के उपाय निम्न प्रकार से हैं :
उपरोक्त नक्षत्रों में से किसी भी नक्षत्र में बालक का जन्म हुआ होतो इस के लिए २८००० अट्ठाईस हजार मन्त्रों का जाप करे या किसी ब्राहमण से करवाए तथा जब नक्षत्र २८ दिन में फिर से आये तब जिस नक्षत्र का मंत्र जपा हो उसके उस दिन उस मंत्र के दशांस का हवन करे या करवाए एवं २८ ब्राहमणों को भोजन करवाए तथा सम्पूर्ण विधि पूर्ण करवाएं इससे सभी दोष दूर हो जाते हैं |