शनि की साढ़ेसाती एवं उपाय :
शनि एक राशि में ढाई वर्ष रहता है सभी १२ राशियों को पार करने में ३० वर्ष का समय लगता है | इसके ढाई -ढाई वर्ष के तीन ढईया होते हैं | इस प्रकार से साधे सात वर्ष के समय के लिए एक राशि पर रहता है जिसको हम साढ़ेसाती कहते हैं | शनि की साढ़ेसाती जिस राशि पर चल रही होती है उसके आगे व् पीछे की राशि पर भी ढईया चल रहा होता है | जिन व्यक्तियों की राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही होती है उनको ढाई – ढाई वर्ष में अलग प्रभाव होते हैं |
अक्सर देखा गया है की ज्यादातर राशियों में अंतिम ढाई वर्ष ज्यादा कष्ट कारी होते हैं | वैसे लोगों में शनि की साढ़ेसाती को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां है की शनि की साढ़ेसाती ज्यादा कष्टकारी होती है जबकि वास्तव में ऐसा नहीं होता है | कभी – कभी शनि देव की साढ़ेसाती में व्यक्तियों को अच्छे एवं सुखदाई परिणाम देखने को मिले हैं जैसे की नौकरी, प्रमोसन, विवाह, संतान प्राप्ति, मकान,जमीन,व्यापार से धन लाभ होना आदि परिणाम हैं| शनि देव को न्याय का देवता भी कहा जाता है धार्मिक प्रवर्ती या स्वभाव के व्यक्तियों को साढ़ेसाती दरम्यान ज्यादा कष्ट नहीं होते हैं |
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में तीन बार शनि की साढ़ेसाती आती है जिसमें तीसरी साढ़ेसाती व्यक्ति के लिए बहुत ही घातक एवं दुखदाई होती है जोकि व्यक्ति के अंतिम पड़ाव पर ही आती है | शनि देव की साढ़ेसाती के अच्छे बुरे परिणाम अलग – अलग राशियों पर अलग -२ देखने को मिलते हैं |
शनि देव की साढ़ेसाती के उपाय : प्रत्येक शनिवार को शनिदेव के मंदिर में शनिदेव को सरसों का तेल में काले तिल डालकर शनि देव की मूर्ति पर चढ़ाना एवं पूजा अर्चना कर के शनिदेव के मंत्र “ ॐ शम्म शनिश्चराय नमः “ अथवा “ ॐ शनि देवाय नमः “ अथवा ॐ नीलांजन समाभासम रवि पुत्रम यमाग्रजम !छायामार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनेश्चरम !! का जाप करें |
शनिवार के दिन शनि देव के पुजारी को काली वस्तुएं जैसे की काला कम्बल, काले उरद, काले तिल, एवं लोहे का पात्र हो उसमें ये सभी वस्तुएं रखकर एवं यथा शक्ति दान दक्षिणा रख कर दान करें |भगवान् शिवजी के दर्शन करके “ ॐ नमः शिवाय “ अथवा महा मृत्युंजय मंत्र जप ” ॐ त्रियम्बकम यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम ” ! “उर्वारुकमिव वंदना मृत्युर्मुक्षीय माम्रतात ” !!
मंत्र की कमसे कम एक माला का जप करें |
शनिवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में जाकर उनके दर्शन करें एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें तथा हनुमानजी को कपूर को जलाकर उसपर खोपरे के टुकडे कर के मिश्री के साथ में भोग लगावें तथा विधि विधान से पूजा अर्चना करें | अंधों तथा अपाहिजों व् गरीबों को शनिवार के दिन भोजन करावें तथा दक्षिणा देवें |शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल की अंगूठी बनवाकर विधि विधान से पूजा कर शनिवार के दिन पहनें अथवा सोने की अंगूठी में नीलम धारण करें |