ब्रह्मचारिणी :-
ब्रह्मचारिणी देवी :
नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है | नवरात्रि के दूसरे दिन माता दुर्गा
की दूसरी शक्ति स्वरूपा माता ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना होती है , ये देवी तपस्या में रत
रहती हैं अतः इनको ब्रह्मचारिणी देवी कहते हैं | माता ब्रह्मचारिणी सफेद वस्त्र पहने हुए बहुत
ही सौम्य एवं सुंदर लगती हैं तथा माता के दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में
कमंडल लिए हुए है तथा इनका स्वभाव बहुत ही सात्विक है |नवरात्रि के दूसरे दिन साधक
माता ब्रह्मचारिणी के चरणों में ध्यान लगाकर साधना करते हैं एवं कुण्डलिनी शक्ति को
जाग्रत करने की कोशिश करते हैं | माता पार्वती ने जब श्री नारद मुनि के आदेश से
भोलेनाथ को प्राप्त करने के लिए बहुत ही कठिन एवं दुर्लभ तपस्या की थी एवं इन्होने
तपस्या के दौरान निर्जल निराहार रहकर हजारों वर्षों तक व्रत किया था |एवं कुछ समय
तक कन्द मूल फल खाकर एवं कुछ वर्षों तक हवा खाकर तपस्या की थी | एवं इनकी
तपस्या से भोले नाथ प्रसन्न हो गए थे एवं उनको पति के रूप में प्राप्त होगये थे | माता
ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करने से उपासक के मन में तप , वैराग्य , सदाचार , संयम की
भावना तथा शक्ति प्राप्त होती है | माता ब्रह्मचारिणी का मंत्र निम्न प्रकार से है :-
दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु | देवी प्रसीदतु मणि ब्रह्मचारिणीय नुत्तमा ||
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